मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री कमलनाथ के करीबी वरिष्ठ नौकरशाह राज्य में 'ट्रांसफर और पोस्टिंग' का फैसला कर रहे हैं, जबकि मंत्री असहाय हैं। इंदौर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के सम्मेलन में वर्मा ने कहा था कि मंत्रियों की तरह सरकार में अधिकारियों की भी किचन कैबिनेट है जो अफसरों की पोस्टिंग कराती है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री किचन कैबिनेट पर वरिष्ठ अधिकारियों का प्रभुत्व है। मैं इससे पीड़ित हूं, क्योंकि हम किसी की पोस्टिंग करने में सक्षम नहीं हैं। यदि पोस्टिंग अधिकारियों के अनुसार की जाती है, तो इसके नकारात्मक परिणाम होंगे।
यह बयान ऐसे समय में आया है जब मुख्यमंत्री कमलनाथ और कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच 'मध्य प्रदेश में घोषणापत्र वादों' को लेकर कथित युद्ध छिड़ा हुआ है। 15 फरवरी को पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने कहा था कि ज्योतिरादित्य किसी के खिलाफ नहीं हैं और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व में पार्टी 'एक साथ' है।
आपको बता दें कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ और कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच टकराव की खबरों पर मुख्यमंत्री कमलनाथ का ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा था कि वह ज्योतिरादित्य सिंधिया से नाराज नहीं हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कमलनाथ ने कहा. 'मैं कभी किसी से नाराज नहीं होता... मैं कभी शिवराज सिंह से नाराज नहीं हुआ तो सिंधिया से क्यों होऊंगा।'
दरअसल, इससे एक दिन पर ग्वालियर में कांग्रेस महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दोहराया कि यदि कमलनाथ नीती मध्य प्रदेश सरकार पार्टी के वचनपत्र में किये गये वादों को पूरा नहीं करेगी तो जनसेवक होने के नाते उन्हें पूरा करवाने के लिए 'मुझे सड़क पर उतरना ही होगा। हजबकि, सिंधिया ने अपने व्यवहार में नरमी लाते हुए कहा कि इसके लिए उन्हें कुछ समय तक सब्र रखना होगा, क्योंकि मध्यप्रदेश में पार्टी की सरकार बने अभी करीब एक साल ही हुआ है।
पिछले हफ्ते सिंधिया ने मध्यप्रदेश के कॉलेजों में अतिथि शिक्षकों के मुद्दे पर कहा था कि अगर कांग्रेस सरकार अपने वादो पूरे नहीं करेगी तो वह सड़क पर उतरेंगे। इस पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा था कि यदि सिंधिया सड़क पर उतरना चाहते हैं तो उतर जाएं। इसके बाद कमलनाथ सरकार के कुछ मंत्रियों ने कहा था कि वचनपत्र के वादे पांच साल के लिए हैं और सरकार बने अभी एक साल ही हुआ है। इसके बाद सिंधिया के रुख में थोड़ी नरमी आई है।