भूखे-प्यासे रहने को मजबूर हैं लोगरोज कमाने-खाने वालों पर भी इसका असर
भोपाल: देश में जनता कर्फ्यू (लॉकडाउन) के बीच सबसे ज्यादा परेशान हैं रोज कमा कर खाने वाले, दिव्यांग। सख्ती के शिकार सड़कों और मंदिरों पर सोने वाले बेसहारा लोग एवं किराए के मकानों मे रहकर रोज कमाने खाने के लिए तरस रहे हैं।शायद इनपर किसी का ध्यान न गया हो। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए राष्ट्रव्यापी जनता कर्फ्यू के दौरान मजदूरों को प्रति मजदूर 1000 रुपए की सहायता देने, आदिवासी परिवारों के खातों में दो माह की अग्रिम राशि 2,000 रुपये और सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत आने वाले पेंशनर्स को दो माह का अग्रिम भुगतान करने की बात कही है, लेकिन दिक्कत यह है कि कई एटीएम खाली पड़े हैं। दुकानों में राशन की उपलब्धता नहीं है और भविष्य अनिश्चित है।
जो मजदूर रोजाना मजदूरी करके अपना ओर परिवार का पेट पालने वाले हैं वो आज अपने किराए के घर,किराए की दुकान ओर खाने के लिये राशन कैसे जुटाएंगे भोपाल मे रह रहे राजन सेन की ऐशवाग मे बाल कटिंग (हजामत)की दुकान 4000 हजार रूपये महिना एवं मकान का किराया 2000 ओर घरेलू खर्च 3000 रूपये है अब इस जनता कर्फ्यू के चलते उन्हें अपने परिवार के खर्च के साथ मकान दुकान के किराए की चिंता खाए जारही है।
वहीं राजन सेन के पड़ोसी हेमराज गोर भी किराए के मकान मे रहकर अपने परिवार का खर्च पिलम्वर का कामकाज करके चलता था ना तो इन लोगों को रोजगार मिल पा रहा है ओर ना ही घर जाने के लिए साधन सभी मजबूर हो कर घरों मे बैठे हैं इनका कहना है की हम अपने घर मे आठ दस दिनों का सामना रखते थे ओर काम धंधे के चलने के हिसाब से सामान रखते थे अब तो खने के सामान के लिए भी पैसे नहीं हैं ऐसे मे मकान ओर दुकान का किराया देना मुस्किल है।
यहां खाने की व्यवस्था नहीं है। कोई व्यवस्था हो तो गांव चले जाएं। खाने-पीने को कुछ नहीं है। काम नहीं मिल रहा, न वाहन चल रहे हैं।