नई दिल्ली: मध्य प्रदेश में कांग्रेस से ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे कद्दावर नेता को खो चुकी कांग्रेस के लिए अब एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले और बाद में जो घटनाक्रम हुए वे मध्य प्रदेश से बिलकुल मिलते जुलते थे। राजस्थान में कांग्रेस को दोबारा सत्ता में लाना सचिन पायलट की कड़ी मेहनत का नतीजा था। प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी संभालते ही सचिन पायलट ने कई मुद्दों पर सरकार को सड़क पर घेरा। कांग्रेस आलाकमान को अंदाजा था कि राज्य में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच खींचतान हो सकती है और इसलिए अशोक गहलोत को राजस्थान से हटाकर केंद्र की राजनीति में तैनात कर दिया गया। इसके बाद सचिन पायलट को सीएम पद का सफर साफ नजर आ रहा था और उनकी अगुवाई में कांग्रेस ने बीजेपी को हैरान करते हुए लोकसभा के दो उपचुनाव हरा दिए। लेकिन जब राजस्थान विधानसभा चुनाव के नतीजे आए तो कांग्रेस बड़ी पार्टी बनकर उभरी लेकिन कांग्रेस के आलाकमान ने हैरान करते हुए आखिर में अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाने का ऐलान कर दिया। हालांकि इससे पहले दोनों नेताओं के समर्थकों के बीच खूब खींचतान भी हुई। हालांकि कांग्रेस आलाकमान ने सचिन पायलट को उप मुख्यमंत्री बनाने का भी ऐलान किया ताकि किसी भी तरह की बगावत ना हो सके।
सचिन पायलट भी सिंधिया की तर्ज पर अपनी ही सरकार पर उठाते रहे हैं सवाल
मध्य प्रदेश में जिस तरह ज्योतिरादित्य सिंधिया अपेक्षा सचिन पायलट के बयानों में भी झलकती है। हाल ही में सचिन पायलट ने अस्पतालों में हुई बच्चों की मौत के मामले में खुलेआम अपनी ही सरकार को चुनौती देते हुए कहा था कि इसमें जबावदेही होनी चाहिए। उन्होंने कहा, 'आज हम लोगों को जवाबदेही तय करनी पड़ेगी क्योंकि जब इतने कम समय में इतने सारे बच्चे मरे हैं तो कोई ना कोई कारण रहे होंगे। कमियां प्रशासनिक हैं, संसाधन, चिकित्सक,स्टाफ, नर्सिंग स्टाफ की कमी से, लापरवाही से, आपराधिक लापरवाही से, हुई इन सब की रिपोर्ट बन रही है लेकिन हमें कहीं ना कहीं अपनी जिम्मेदारी तय करनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि जिस घर में मौत होती है, जिस माता-पिता के बच्चे की जान जाती है, जिस मां की कोख उजड़ती है उसका दर्द वो ही जान सकती हैं। वहीं इससे पहले सीएम गहलोत ने सफाई दी थी कि पिछली सरकार की तुलना में इस बार मौतें कम हुई हैं। वहीं इसके अलावा एक जाति विशेष के साथ मारपीट, भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर वह अपनी ही सरकार के रवैये पर सवाल उठाते रहे हैं।
सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की मांग फिर उठी
राजस्थान में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की बड़ी हार हुई। अशोक गहलोत अपने बेटे की भी सीट नहीं बचा पाए। इसके बाद एक खेमे में फिर सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की मांग उठी। विधायक पृथ्वीराज मीणा ने कहा कहा, 'सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए। यह मेरी व्यक्तिगत राय है'। मीणा ने कहा कि वह यह बात पहले भी कह चुके हैं क्योंकि विधानसभा चुनाव में पार्टी उन्हीं के कारण जीती। हाल ही में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक टीवी चैनल के इन्टरव्यू में कहा कि प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट को कम से कम जोधपुर सीट पर पार्टी की हार की जिम्मेदारी तो लेनी ही चाहिए क्योंकि वह वहां शानदार जीत का दावा कर रहे थे। इसके बाद गहलोत व पायलट के समर्थन में अलग अलग बयान आ रहे हैं।