पीपल से मिल रहा है ऑक्सीजन - सफलता की कहानी

 


पीपल से मिल रहा है ऑक्सीजन - सफलता की कहानी

इन्दौर | 16-मई-2021
          पीपल के वृक्ष का हमारे देश में सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार प्रमुख स्थान है। आज जब चारों ओर ऑक्सीजन की विकट समस्या से कोरोना के मरीज़ और परिजन जूझ रहे हैं ऐसे में चौबीसों घंटे ऑक्सीजन देने वाले पीपल के वृक्ष की महत्ता ग्राम रंगवास के एक बुजुर्ग ने उदाहरण के साथ प्रस्तुत की है।
          इंदौर के एक बुजुर्ग ने ऑक्सीजन के लिए पीपल के पेड़ पर ही डेरा डाल रखा है। वे पीपल के पेड़ पर कुर्सी लगाये आराम से बैठे रहते हैं। यहां तक कि उनकी खाने पीने और अन्य सुविधाएं भी परिजन उन्हें पेड़ पर ही मुहैया करा देते हैं। लगभग 68 साल की उम्र में राजेन्द्र पाटीदार को पीपल के पेड़ पर आसानी से चढ़ने में महारत हासिल है। पीपल के पेड़ पर रहने में राजेंद्र का पोता भी उनका साथ देता है। मूल रूप से किसान राजेंद्र पाटीदार के घर के पास दो से तीन पीपल के पेड़ हैं। जिनमें एक पेड़ उनके घर से सटा हुआ है। जब उन्होंने सुना कि इंदौर में ऑक्सीजन की कमी होने से अस्पतालों में कई लोगों की मौत हो गई, तो उन्होंने प्राकृतिक तरीके से ऑक्सीजन लेने की अपनी इस अनूठी विधि को अपनाते हुए पीपल के पेड़ पर जाकर बैठने का फैसला किया। सुबह हो या शाम, पाटीदार पेड़ पर अपनी कुर्सी लेकर चढ़ जाते हैं। कुर्सी  लगाकर शुद्ध ऑक्सीजन के साथ कपालभाती प्राणायाम  कर लेते हैं।
          राजेन्द्र पाटीदार ऑक्सीजन की महतता को बता रहे है। वे बताते है की पीपल पर बैठने से  ही उनका आक्सीजन लेवल 68 साल  की उम्र में भी 99 बना हुआ है। वहीं पेड़ पर चढ़ने और उतरने से भी उनका शरीर फिट रहने के साथ यह दिन भर फुर्ती महसूस करते हैं। इसका श्रेय भी में पीपल के पेड़ को देने से नहीं चूकते हैं। परिवार का भी सहयोग सुबह हो या शाम, जब भी राजेंद्र पाटीदार को पेड़ पर जाना होते है या अपनी कुर्सी लेकर पेड़ के ऊपर आसानी से चढ़ जाते हैं। पेड़ पर ही आसन लगाकर शुद्ध ऑक्सीजन लेते हुए कपालभाती प्राणायाम और योग भी कर लेते हैं। बीते 15 से 20 दिनों में पीपल के पेड़ पर संगत जमाने वाले राजेंद्र की इस पहल को देखकर ग्रामीणों में भी हंसी-खुशी है राजेंद्र का पीपल के पेड़ पर चढ़ना उनके परिवार वालों को काफी खतरे का काम लगता था लेकिन अब स्थिति यह है कि उनके परिवार के सदस्य ही राजेंद्र को पेड़ पर साधन जुटा आते हैं और पीछे नहीं हटते। राजेंद्र के पेड़ पर चढ़े रहने के दौरान यदि उनसे कोई बात करना चाहता है, तो वह भी पेड़ के ऊपर से ऐसे ही बात करते हैं।  उन्होंने बताया उनकी देखा देखी अब गांव के कई बुजुर्ग भी इस तरह के प्रयास को लेकर प्रेरित हो रहे हैं। ऐसा करने से उनका ऑक्सीजन लेवल भी ठीक हो जाएगा।